यूपी की यूनिवर्सिटीज हमेशा से राजनीति का अखाड़ा बनती रही हैं। चाहें मामला ऑफलाइन परीक्षा का हो, ऑनलाइन क्लासेस का या छात्र संघ बहाल करने का, ...
यूपी की यूनिवर्सिटीज हमेशा से राजनीति का अखाड़ा बनती रही हैं। चाहें मामला ऑफलाइन परीक्षा का हो, ऑनलाइन क्लासेस का या छात्र संघ बहाल करने का, हर चीज पर राजनीति शुरू होने में देर नहीं लगती।
यूनिवर्सिटी 1: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, प्रयागराज
चुनाव की बात करने पर छात्र कहते हैं, "पहले हमारे आंदोलन की बात कीजिए। उसके बाद हम राजनीति पर आएंगे। हमारे 25 साथी बेहोश होकर बेली अस्पताल जा चुके हैं। आज यूनिवर्सिटी फैसला नहीं करती तो कल 50 और बच्चे बिना खाए-पिए बेहोश हो जाएंगे।"
प्रशासन ने बात नहीं मानी तो मेरी लाश एंबुलेंस में जाएगी
एनएसयूआई के अभिषेक त्रिपाठी निराला गेट पर लेटकर धरना देते हुए
मामला विश्वविद्यालय की ओर से ऑफलाइन परीक्षा कराने का है। छात्रों की मांग है कि उन्हें असाइनमेंट के आधार पर पास किया जाए।
क्योंकि ऑनलाइन कक्षाओं में प्रैक्टिकल नहीं हुए। अब प्रशासन प्रैक्टिकल के लिए कह रही है।
बहरहाल, ऊपर की अब राजनीति की बात, एनसएसयूआई और समाजवादी पार्टी से जुड़े नेता सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। एनएसयूआई के अभिषेक त्रिपाठी विश्वविद्यालय के निराला गेट पर लेटे हुए हैं। उनमें उठने की ताकत नहीं बची है।
कहते हैं, "चार दिन से आमरण अनशन पर हूं। अभी मेडिकल रिपोर्ट आई डॉक्टर्स ने शुगर-बीपी सब कम बताया। लेकिन एयू प्रशासन हमारी बात मानें नहीं तो मेरी लाश एम्बुलेंस में जाएगी।"
अभिषेक कहते हैं, "जब आंदोलन पर था तभी प्रियंका गांधी शहर में आई थीं। लेकिन मेरे लिए छात्र जरूरी हैं। मैं उनसे मिलने नहीं गया।"
समाजवादी पार्टी से जुड़े छात्र नेता अजय सम्राट कहते हैं, "हम 583 दिनों से छात्रसंघ बहाली की लड़ाई लड़ रहे हैं। बीते 3 साल में 28 बार जेल जा चुके हैं। अब एक और लड़ाई सही। इसमें जो करना होगा करेंगे। फिलहाल प्रदेश में चुनाव होने के बावजूद दूसरी पार्टियों के छात्र नेता भी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।"
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