Page Nav

HIDE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News:

latest

बुविवि में उद्यमिता संस्कृति और आर्थिक विकास विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

उद्यमिता विकास में सभी संस्थाओं का सहयोग जरूरी ... डा. कर्मेंद्र कुमार घुमन झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के आई आई सी सेल के तत्वावधान में...

उद्यमिता विकास में सभी संस्थाओं का सहयोग जरूरी ... डा. कर्मेंद्र कुमार घुमन



झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के आई आई सी सेल के तत्वावधान में उद्यमिता संस्कृति और आर्थिक विकास विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आज गांधी सभागार में शुरू हुई। इसके उदघाटन सत्र के मुख्य अतिथि डा. कर्मेंद्र कुमार घुमन ने कहा कि देश में उद्यमिता के विकास में समाज की सभी संस्थाओं को मिल जुलकर सहयोग करना होगा। यह वर्तमान समय की प्रबल मांग है। उन्होंने कहा कि युवाओं के विचारों को मूर्त रूप देने के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में बिजनेस लैब की स्थापना की जानी चाहिए। ऐसा करने से युवाओं को व्यवसायों से जोड़ने में सहूलियत होगी।

विभिन्न उदाहरण रखते हुए उन्होंने कहा कि आज सीखने की प्रक्रिया ही दोषयुक्त है। अब केवल बात करने, सोचने या जानने भर से काम नहीं चलने वाला है। आज जरूरत है विचारों को अपने व्यवहार से मूर्त रूप देने की। डा. घूमन ने सभी का आहवान किया कि बुंदेलखंड में फाइनेंशियल लिट्रेसी बढ़ाने पर जोर दें। इस कार्य में उन्होंने हरसंभव मदद का भरोसा दिया। उन्होंने अपनी संस्था बी स्कूल बुल्स के प्रयोगों के बारे में भी अनुभव साझा किए।

बुविवि के कार्यवाहक कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि युवा ही इस देश कोे सही दिशा में ले जा सकते हैं। उन्होंने नई शिक्षा नीति की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि अगले कुछ सालों में उसके सकारात्मक प्रभाव दिखने लगेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में देश में उद्यमिता और कौशल विकास का अच्छा परिणाम नजर आएगा।

कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. मुन्ना तिवारी ने कहा कि देश की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई जानी चाहिए। अर्थशास्त्र को धर्मशास्त्र से जोड़कर उद्यमिता के विकास के लिए उपयुक्त माहौल बनाया जाना चाहिए। इस सत्र मंे प्रो. सीबी सिंह. आईआईसी की अध्यक्ष प्रो. अपर्णा राज. संयोजक प्रो. एमएम सिंह ने भी विविध उदाहरणों से उद्यमिता विकास की जरूरत और महत्व को रेखांकित किया।

इस सत्र में परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर ने कहा कि हमारे यहां श्लोक प्रचलित है कि बिना कार्य किए कुछ होने वाला नहीं। जो व्यक्ति उद्यम करेगा वही सफल होगा। कभी हमारे समाज में अनेक जातियों के लोग बड़े उद्यमी और अनुभवी थे। हमसे कहीं न कहीं कुछ चूक हुई कि हम अपनी जनसंख्या का सदुपयोग देश के तीव्र विकास में नहीं कर पा रहे हैं। इससे पूर्व संयोजक डा. संदीप अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के कार्यक्रमों की रूपरेखा का ब्यौरा पेश किया। इस सत्र में प्रो. देवेश निगम, प्रो. डीके भटट. डा. ़्ऋषि कुमार सक्सेना. डा. शंभूनाथ सिंह. डा. इरा तिवारी, डा. ऋतु सिंह. जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के समन्वयक जय सिंह. डा. विनीत कुमार, डा. संतोष पाण्डेय, आर्किटेक्ट प्रदीप यादव. उमेश शूुक्ल. प्रो. प्रतीक गुप्ता. डा. विजय गुप्त आदि उपस्थित रहे। संचालन डा. अंकिता जे लाल और डा. शिल्पा मिश्रा ने बारी बारी किया। सभी अतिथियों को स्मृति चिहन और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। अंत में डा. कौशल त्रिपाठी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

द्वितीय सत्र में देश के विभिन्न हिस्सों से आए उद्यमियों ने अपने स्टार्ट अप की उपलब्धियों और चुनौतियों का ब्यौरा युवाओं को दिया। इस सत्र के मुख्य अतिथि श्याम बिहारी गुप्त ने कहा कि यदि देश के सभी युवा गौ पाल लें तो देश बेरोजगारी की समस्या से मुक्त हो सकता है। उन्होंने कहा कि आज साफ हवा. स्वच्छ पानी और शुद्ध भोजन मिलना सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने सभी युवाओं का आहवान किया कि आओ गांवों में रहो। गौ पालन और जैविक खेती से देश का भाग्य बदलो। इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे राजीव सिजरिया ने कहा कि आज देश को कृषि आधारित उद्योग की जरूरत है। साथ ही बच्चों को नया उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि प्रो. देवेश निगम ने उद्यमिता विकास का महत्व बताया। उन्होंने युवाओं को अपने पैरों पर खड़े होने का सुझाव भी दिया। इस सत्र में रीतू शर्मा, पवन चंदेल, प्रवीण वर्मा, आशीष गुप्ता. मिस्टर राज आदि ने भी अपने अनुभव साझा किए।

No comments