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कभी बांदा के जिलाधिकारी रहे डॉ हीरालाल की किताब डायनेमिक डीएम को क्या आपने पढ़ा ( समीक्षा)

  पुस्तक समीक्षा     किताब : डायनामिक डीएम ( सहयोग से सुशासन , सुशासन से समृद्धि ) लेखक : डॉ. हीरा लाल , IAS और कुमुद वर्मा प्रकाशन : प्रभात...

 पुस्तक समीक्षा  

किताब : डायनामिक डीएम ( सहयोग से सुशासन , सुशासन से समृद्धि )

लेखक : डॉ. हीरा लाल , IAS और कुमुद वर्मा

प्रकाशन : प्रभात प्रकाशन

मूल्य : 250 रु .

ऊपर की पंक्तियों से आप अभी तक अंदाजा लगा चुके होंगे की आप अब किस बारे में पढने वाले है एक ऐसे सिविल अफसर की जीवंत घटनाओं की कहानी जो इसे पढ़ेगा वो यही कहेगा बस ऐसे ही अफसर चाहिए , हर बार की तरह हम पहले लेखक के बारे में जान लेते है लेकिन इस किताब को दो लेखकों ने लिखा है इसलिए पहले हम पहले लेखक जो कि कहानी के मुख्य किरदार भी हैं उनके बारे में जान लेते हैं

किताब में दिए परिचय के अनुसार 

डॉ. हीरा लाल प्रतिष्ठितभारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं | इन्होनें लम्बे सेवाकाल के दौरान उत्तर प्रदेश शासन में अत्यंत महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुए अपनी नेतृत्व क्षमता , सरलता कार्यकुशलता से आम जनता से जुड़े हुए सरोंकारों पर विशेष ध्यान दिया है


इनका जीवन ग्रामीण , खेतिहर , गरीब और पिछड़े इलाकों के बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत हैं डॉ.  हीरा लाल ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक (B. Tech .) , मास्टर ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेसन (MPA) किया तथा सुशासन में ICT का रोल ’’ विषय पर पीएचडी की है | डॉ . राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय , अयोध्या से “ सुशासन में संचार का रोल ’’ विषय से इनकी डी. लिट् की पढाई जारी है |


    अब जानते है दुसरे लेखक के बारे में जो की एक लेखिका हैं , कुमुद वर्मा जी वैसे तो मूलनिवासी गुड़गाँव की हैं लेकिन वर्तमान में अहमदाबाद में रह रही हैं | कुमुद वर्मा को “ग्लोवल इन्स्प्रेशनल वुमन अवार्ड ’’ के साथ साथ एक दर्जन से अधिक संस्थाओं ने पुरस्कार व सम्मानों से सम्मानित किया है आठ पुस्तकों की लेखिका के साथ , एक बेस्ट सेलर लेखिका भी हैं वैसे किताब में कुमुद जी के बारे ज्यादा नहीं दिया गया है


अब लौटते हैं किताब पर , किताब के अन्दर के प्रथम पृष्ठ पर आनंदीबेन पटेल उत्तर प्रदेश राज्यपाल द्वारा बधाई सन्देश लिखा गया है वैसे तो किताब के बारे में बहुत विशेष हस्तियों ने अपनी राय रखी है सर्वप्रथम किताब के बैक कवर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के शब्दों पर एक नजर डालते हैं “ मेरा विश्वास है कि पुस्तक में प्रकाशित सामग्री प्रशासनिक अधिकारीयों तथा भविष्य में प्रशासनिक सेवा में आनेवाले युवाओं के लिए उपयोगी साबित होगी | ” जैसे ही आगे बढ़ते हैं तो किताब की प्रस्तावना को लिखा है आलोक रंजन आईएस (पूर्व मुख्य सचिव , उ . प्र . शासन ) जी ने | इसके बाद आभार और विशेष आभार में कई संस्थाओं और कई लोगों का आभार व्यक्त किया गया है किताब की अनुक्रम तालिका में पहले पाठ में हीरा लाल जी के प्रारंभिक जीवन के बारे में बताया गया हैं जिसमें जीवन के रोचक किस्से और कठिन परिश्रम के बारे में बड़ी तत्परता से बताया गया है , दूसरे पाठ जिसमें जीवन की नई पारी के बारे में बताया गया है इसमें हीरा लाल जी की पहली नौकरी से लेकर SDM तक के सफ़र के बारे में बड़े उम्दा डंग से लिखा गया है किताब का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण पाठ डायनामिक डीएम , जो की किताब का शीर्षक भी है इसमें आप जानेंगे डीएम से डायनामिक डीएम बन्ने की कहानी और साथ ही बाँदा की पानी की समस्या से लेकर महिला विकास तक की समस्याओं को दूर करने के लिए एक जिलाधिकारी ने क्या कुछ किया है |


चौथे पाठ में गाँव मॉडल के बारे में बताया गया है इस मॉडल की इतनी तारीफ हुई की हीरा लाल जी को गाँव मॉडल वाले डीएम साहब के नाम से लोग जानने लगे इस मॉडल की सभी ने सराहना की | पांचवा और अंतिम पाठ जिसमें याद करने लायक घटनाओं को उकेरा गया है अंत में शुभकामनायें , प्रशंसा एवं बधाइयों के संदेशों को लिखा गया है |


अब आप सोच रहें होंगे की किताब की पूरी कायाकल्प तो बता दी लेकिन कहानी क्या है तो सुनिए किसी भी समीक्षा  में  कहानी को बता पाना संभव नहीं हो पाता है और सब कुछ आप यहीं जान लेंगे तो आपका किताब के प्रति रस कम हो जायेगा इसलिए खुद से पढ़िए, मजे के साथ साथ बहुत कुछ सिखाएगी ये किताब


किताब का एक किस्सा हुबहू रखने की कोशिश करते हैं एक दिन दोपहर 1 : 30 बजे खाना खा रहा था वायरलेस सेट पर सूचना मिली कि हराय नगर थानाध्यक्ष को एक जमीन विवाद में घेर लिया है | अप्रिय घटना होने का पूरा अंदेशा था मैंने सीओ हरेन्द्र यादव को बताया , खाना छोड़ , एवं स्वयं की रिवाल्वर ली , लोड की और होमगार्ड के साथ चल दिया | मौके पर बस्ती में 10 हजार की उग्र भीड़ थी | दोनों पक्ष रोड़ के दोनों तरफ आमने सामने सौ मीटर की दूरी पर आ गये थे | सीओ भी आ गये | एक तरफ सीओ को भेजा और दूसरी ओर रिवाल्वर लेकर मैं चिल्लाता रहा , भीड़ को भगाता रहा |लगभग दो घंटे में भीड़ सड़क से हटाकर बस्ती में कर पाया


हयातनगर में हिंदू मुस्लिम के जमीन विवाद पर एक बहुत बड़े दंगे को होने से रोका था उस समय हीरा लाल जी  बहुत सुर्ख़ियों में रहे थे रिवाल्वर के साथ उनकी फोटो हर एक अख़बार और न्यूज़ चैनल्स में प्रसारित की गयी थी | जो लेख लिखते समय छूटा है वो भी इतना लम्बा है की इस लेख से अधिक निकलेगा | छूटीं हुई चीजों को साक्षात्कार में पूरा कर लेंगे

धन्यवाद ❤️

समीक्षक : धर्मेंद्र कुमार (साहित्य पर चर्चा)

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