झांसी । शिक्षा क्षेत्र में शोध का अहम स्थान है। शोध नए ज्ञान की संरचना के साथ ही पुराने ज्ञान की यथार्थता का भी परीक्षण करते हैं। शोध के म...
झांसी। शिक्षा क्षेत्र में शोध का अहम स्थान है। शोध नए ज्ञान की संरचना के साथ ही पुराने ज्ञान की यथार्थता का भी परीक्षण करते हैं। शोध के माध्यम से ही हम सामाजिक जीवन के हरे क्षेत्र में नवोन्मेष को बढ़ावा दे सकते हैं। उक्त विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी वसी मोहम्मद ने शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित शोध कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। दस दिवसीय आईसीएसएसआर द्वारा वित्त पोषित शोध कार्यशाला का आयोजन शिक्षा संस्थान द्वारा 10 से 19 जनवरी तक किया गया। परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर ने शोधार्थियों को महात्मा बुद्ध के जीवन को शोध के उदाहरण के रूप में छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया।
उन्होंने बताया कि बुद्ध का ज्ञान कि जीवन ही दुख है और दुख का कारण और निवारण है यह उनके स्वयं के शोध का परिणाम है। समाज की सोई चेतना को जागृत करना एवं वैदिक अवधारणा मनुर्भव को साकार रूप प्रदान करना शोध का लक्ष्य होना चाहिए। अकादमिक शोध निदेशक प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि वर्तमान समय मल्टीडिसीप्लिनरी अप्रोच का है। शोध कार्यशाला डायरेक्टर डॉ काव्या दुबे ने बताया कि इस शोध कार्यशाला में 7 राज्यों से 20 छात्रों ने एवं 21 छात्रों ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से प्रतिभाग किया। कार्यशाला के समापन पर बिलासपुर के शोधार्थी हेमंत यादव एवं झांसी की शोधार्थी शिखा सोनी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा सभी प्रतिभागियों को उत्कृष्ट सुविधाएँ प्रदान की गई है। साथ ही शोध के विभिन्न पहलुओं को समझाने के लिए राष्ट्रीय स्तर के विषय विशेषज्ञों को उपलब्ध कराया है। आभार आयोजन सचिव डॉक्टर शंभू नाथ सिंह एवं संचालन डॉक्टर अंकिता जैस्मिन लाल ने किया। इस अवसर पर सह पाठ्यक्रम निदेशक शोध कार्यशाला डॉ सुनील त्रिवेदी, डॉ भुवनेश्वर सिंह, डॉ बीएस मस्तानिया, डॉ दीप्ति सिंह, शिखा खरे, प्रतिभा खरे, संजय, अमित कुशवाहा, राधा गुप्ता, आशीष वर्मा उपस्थित रहे।
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