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BU JHANSI Environment Day: बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित

नये पेड़ के साथ ही पेड़ों का संरक्षण एवं पुनर्जीवन समान रूप से लाभकारी है- कुलपति झांसी। प्रकृति का संरक्षण सामूहिक जिम्मेदारी होने के साथ ...

नये पेड़ के साथ ही पेड़ों का संरक्षण एवं पुनर्जीवन समान रूप से लाभकारी है- कुलपति


झांसी। प्रकृति का संरक्षण सामूहिक जिम्मेदारी होने के साथ ही व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी है। पर्यावरण संरक्षण के लिए संस्थागत संस्थानों के द्वारा किए जा रहे प्रयासों के अतिरिक्त हमें व्यक्तिगत प्रयास करने की भी आवश्यकता है। जैसे किसी नये पेड़ को लगाने की अपेक्षा किसी मृत होते पेड़ को हम जीवन प्रदान करें यह अधिक से श्रेयकर है। उक्त विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पाण्डेय ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, आईसीसीआर एवं सेंट्रल एग्रोफोरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट के संयुक्त तत्वाधान में "पर्यावरण दिवस 2022" के उपलक्ष्य में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में आयोजित एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इधर हाल ही के वर्षों में देखने को आया है कि सभी जगह का तापमान बढ़ रहा है। इसका प्रमुख कारण है कि हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर नहीं चल रहे हैं। अभी भी समय है हमें भौतिकवादी उपभोक्तावाद से इति कर, पर्यावरण का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा जिस प्रकार से हम अपने शरीर की देखभाल करते हैं वैसे ही हमें पृथ्वी की भी देखभाल करने की आवश्यकता है। मुख्य वक्ता, जर्मनी की होमा थेरेपी के प्रेसिडेंट,  प्रोफेसर उल्रिक बर्क ने अपने शोध में बताया कि किस प्रकार से हवन के द्वारा हम वातावरण को स्वच्छ रख सकते हैं। उन्होंने प्रातः के समय एवं संध्या काल में संस्कृत के मंत्रों के साथ हवन करने से पर्यावरण में किस प्रकार शुद्धि आती है इसको अपने शोध के रूप में प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने बताया कि यज्ञ से प्राप्त राख के द्वारा पानी का भी शुद्धिकरण किया जा सकता है। उन्होंने यज्ञ द्वारा पर्यावरण को होने वाले लाभ का वैज्ञानिक विश्लेषण सभी के सामने रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सेंट्रल एग्रोफोरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक ए. अरुणाचलम ने कहा की 1970 में अमेरिकी संस्था ने एसआईटीआई नामक प्रोजेक्ट के माध्यम से जानने का प्रयास किया कि पृथ्वी के बाहर भी क्या जीवन है? लेकिन अभी भी हम सफल नहीं हुए हैं। इसका सीधा से तात्पर्य है कि हमारे पास मानव जीवन के लिए केवल एक पृथ्वी ही है। उन्होंने बुंदेलखंड विश्विद्यालय के नेचर क्लब द्वारा किए जा रहे इस सेमिनार में कहा कि हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रकृति को ही देवता माना गया है। पंचभूत मानव जीवन का आधार है। उन्होंने "पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ" अभियान का सभी से आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पेड़ लगाने से वातावरण शीतल होता है एवं यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पानी के संकट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में ग्राउंड वाटर खत्म होता जा रहा है। 5 मेट्रो सिटी के बराबर की जगह ग्राउंड वाटर शुन्य हो गया है। उन्होंने बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत संचालित सभी संस्थानों से आह्वान किया कि वे प्रशासन के साथ मिलकर बुंदेलखंड में पानी के लिए कार्य करें। "शुभशयं शीघ्रम" की नीति ही सभी प्राणियों की रक्षा कर सकती है। इसके पूर्व इंस्टिट्यूट ऑफ इनोवेशन काउंसिल की समन्वयक प्रोफेसर अपर्णा राज ने स्वागत भाषण दिया।  विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर आर के सैनी एवं कला संकायाध्यक्ष प्रोफेसर सीबी सिंह ने भी पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार रखे। संचालन इरा तिवारी ने किया। 


कार्यक्रम के संयोजक ऋषि सक्सेना ने सभी अतिथियों का आभार जताया।  इस अवसर पर इंजीनियरिंग के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर एमएम सिंह, डॉ डीके भट्ट, डॉ विनीत कुमार, डॉ संदीप सिंह, के साथ बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक गण काफ्री के वैज्ञानिक, और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय शोध सेल के अनेक छात्र उपस्थित रहे।

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