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संस्कृत भाषा को वैश्विक स्तर पर पुनः प्रतिष्ठित करने की संकल्पना की आवश्यकता-डॉ बी बी त्रिपाठी

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय  के हिंदी विभाग में संस्कृत सप्ताह का उद्घाटन हुआ, इस मौके पर डॉ बी बी त्रिपाठी एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष समेत तमाम ...


बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय  के हिंदी विभाग में संस्कृत सप्ताह का उद्घाटन हुआ, इस मौके पर डॉ बी बी त्रिपाठी एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष समेत तमाम विशेष लोग मौजूद रहे... 


उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के तहत बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग संस्कृत भाषा का करेगा प्रचार-प्रसार, 
संस्कृत भाषा हमारी प्राचीन पहचान है, पर वर्तमान में संस्कृत भाषा से युवाओं की दूरी चिंता का विषय,



झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश शासन की मंशा के अनुरूप संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु संस्कृत सप्ताह कार्यक्रम के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रानी लक्ष्मीबाई महिला महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ बी बी त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत भाषा मानव जीवन के मूल से अंत तक के विज्ञान को अपने वांग्मय में समाए हुए है। जिन आश्रम व्यवस्थाओं से मानव जीवन होकर गुजरता है उसमें मनुष्य का कैसा आचार, विचार, व्यवहार एवं कर्तव्य होना चाहिए, इस पर विस्तार से सामग्री संस्कृत साहित्य में उपलब्ध है। जहां समस्त वर्तमान विज्ञान परमाणु पर आकर रूकता है, वहीं संस्कृत भाषा का ज्ञान परमाणु से प्रारंभ होता है। वैश्विक शोध का सर्वश्रेष्ठ संस्थान नासा भी संस्कृत की सैकड़ों पांडुलिपियों पर अध्ययन कर रहा है। 2030 तक कंप्यूटर अपने आप को संस्कृत भाषा के अनुरूप ढाल लेगा, ऐसी आशा है। उन्होंने आगे कहा कि संस्कृत विभक्ति प्रधान भाषा है, इससे शब्दों के क्रम बदलने से भी उसका अर्थ नहीं बदलता। इसलिए कंप्यूटर और प्रौद्योगिकी दोनों के लिए यह श्रेष्ठ भाषा है। विशिष्ट अतिथि कालपी कॉलेज, कालपी के डॉ डी पी सिंह ने कहा कि संस्कृत केवल भाषा न होकर भारतीय जीवन प्रणाली का संस्कार है। प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन के पावन अवसर पर संस्कृत दिवस एवं सप्ताह मनाया जाता है। शासन की इसमें सहभागिता और संवेदना से निश्चित ही संस्कृत भाषा को लाभ होगा। संस्कृत सप्ताह कार्यक्रम के संयोजक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ पुनीत बिसारिया ने कहा कि ध्वनि आधारित भाषा के रूप में संस्कृत श्रेष्ठ भाषा है, जिसके कारण कंप्यूटर में परिवर्तित करते समय इसमें त्रुटियां ख़त्म हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि हमें संस्कृत को कर्मकांड से निकालकर आम जनमानस के बीच लाना होगा। हम तभी सफल होंगे जब यह आम बोलचाल की भाषा बने। आज ऐसा कठिन प्रतीत होता है, परंतु निरंतर प्रयास से कठिन से कठिन लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं। अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ श्रीहरि त्रिपाठी एवं आभार नवीन चंद पटेल ने किया। इस अवसर पर डॉ बीएस भदौरिया एवं जनसंचार और पत्रकारिता विभाग के समन्वयक डॉ कौशल त्रिपाठी, डॉ द्युति मालिनी, कामद दीक्षित, हिमांशु यादव, पाखी चतुर्वेदी, यशस्वी अग्रवाल, मनीष मण्डल के साथ अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहे। इस अवसर पर संस्कृत श्लोक लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें विश्वविद्यालय तथा अनेक महाविद्यालयों के छात्र छात्राओं ने भाग लिया। आगामी 23 अगस्त को वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई महिला महाविद्यालय, झांसी में संस्कृत काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा तथा 25 अगस्त को बुविवि के हिंदी विभाग में संस्कृत संभाषण प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी और समापन समारोह होगा। प्रतिभाग करने वाले सभी विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। सहभागिता हेतु इच्छुक विद्यार्थी डॉ पुनीत बिसारिया से 9450037871 तथा डॉ कौशल त्रिपाठी से 8353973918 पर सम्पर्क कर सकते हैं। यह जानकारी कार्यक्रम संयोजक डॉ पुनीत बिसारिया ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दी है।

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