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कला और विज्ञान कि समागम पर आधारित होगी बहुआयामी नई शिक्षा नीति- प्रो. विनय कुमार पाठक

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग- एचआरडीसी एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा बहुआयामी शिक्षा एवं शोध विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित भारत में पुर...

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग- एचआरडीसी एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा बहुआयामी शिक्षा एवं शोध विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित



भारत में पुरातन शिक्षा नीति कितनी श्रेष्ठ थी इसे नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा केंद्रों में प्रदान की जा रही शिक्षा से समझा जा सकता है। उस समय 64 विषयों में प्रत्येक छात्र को शिक्षा प्रदान की जाती थी। संगीत, पेंटिंग जैसे कला विषयों के साथ ही, रसायन, भौतिकी, गणित, इंजीनियरिंग मेडिसिन संचार आदि ऐसे अनेक विविध विषयों में छात्र पारंगत होते थे। इसी समावेशी बहुआयामी शिक्षा नीति का परिणाम था कि भारत वैश्विक स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ था। नई शिक्षा नीति उसी संकल्पना पर आधारित है। उक्त विचार प्रोफेसर विनय कुमार पाठक, कुलपति छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, मानव संसाधन विकास केंद्र, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वेबीनार " एनईपी 2020 बहुआयामी शिक्षा एवं शोध" में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मानविकी एवं कला विषयों के एसटीईएम (विज्ञान, तकनीकी, प्रौद्योगिकी एवं गणित) के साथ समावेश से छात्रों में सकारात्मक शिक्षा, रचनात्मकता, नवाचार एवं समस्या समाधान के कौशल का विकास होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडे ने बताया कि नई शिक्षा नीति में छात्र हितों को केंद्र में रखा गया है। कौशल आधारित शिक्षा प्रणाली में विषय विशेषज्ञता के आधार पर छात्र को क्रेडिट प्रदान किए जाएंगे। छात्र के पास यह संभावना रहेगी कि वह अध्ययनरत संस्थान के साथ ही अन्य संस्थानों से भी क्रेडिट प्राप्त कर सके। यूजीसी एचआरडीसी के निदेशक प्रोफेसर राजेश कुमार दुबे ने बताया कि नई शिक्षा नीति सिफारिश और सुझाव पर आधारित है। यह किसी पर जबरदस्ती थोपी नहीं जा रही है। उन्होंने कहा कि यूजीसी एचआरडीसी का उद्देश्य है प्रशिक्षण शिक्षण के माध्यम से ऐसे शिक्षकों को तैयार करना जो आने वाले समय में 20-30 साल अध्यापन कार्य करेंगे। नई शिक्षा नीति का अनुपालन ऐसे ही शिक्षकों के ऊपर है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार देश भर से 35 एमईआरयू (मल्टीडिसीप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी) तैयार कर रही है। ऐसी प्रत्येक यूनिवर्सिटी को ₹10 करोड़ की आर्थिक सहायता नई शिक्षा नीति के अनुपालन के लिए दी जाएगी। उन्होंने सहभागिता कर रहे शिक्षकों के प्रश्नों का उत्तर भी दिया। इसके पूर्व बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर सुनील कुमार काबिया ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए स्वागत उद्बोधन एवं आभार सहायक आचार्य डॉ राजेश कुमार पांडे ने दिया। सह-निदेशिका, यूजीसी एचआरडीसी निधि सनदाल नें संस्थान द्वारा नई शिक्षा नीति के संदर्भ में की जा रही शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी दी। संचालन वेबीनार संयोजक पत्रकारिता विभाग के सहायक आचार्य डॉ कौशल त्रिपाठी ने दिया। वेबीनार में देशभर के 10 प्रदेशों से तीन सौ से अधिक शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने सहभागिता की।

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