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बुविवि में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन भी राम की विशिष्टताओें पर चर्चा

भगवान राम देश की अस्मिता की पहचान हैं ... प्रमोद कुमार अग्रवाल झांसी। पूर्व आईएएस अधिकारी प्रमोद कुमार अग्रवाल ने कहा कि भगवान राम देश की अस...

भगवान राम देश की अस्मिता की पहचान हैं ... प्रमोद कुमार अग्रवाल





झांसी। पूर्व आईएएस अधिकारी प्रमोद कुमार अग्रवाल ने कहा कि भगवान राम देश की अस्मिता की पहचान हैं। उनका चरित्र सदैव देशवासियों को संबल देता रहेगा। वे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग और संत कबीर अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में कबीर के राम और राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के राम विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन जुटे विद्यार्थियों, अध्येताओं और शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। दूसरे दिन भी साहित्यकारों की दृष्टि में राम, उनके विविध गुणों और समाज पर उनके प्रभावों की चर्चा हुई।

उन्होंने कहा कि देश के संतों, महात्माओं और विचारकों ने राम को समाज का अवलंब माना है। उनकी बदौलत ही भारत में आध्यात्मिक समाजवाद के दर्शन होते हैं। अग्रवाल ने बताया कि राम पर उन्होंने हिंदी में कई पुस्तकें लिखी हैं। राम उनके प्रिय पात्र हैं। राम कर्म में विश्वास रखते थे। बोलते कम थे। विद्यार्थियों को उन्होंने राम के चरित्र से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने की सलाह दी। अग्रवाल ने कहा कि आज प्रतियोगिता चरम पर है। ऐसे में सभी विद्यार्थियों को ख्ुाद को बेहतर तैयार करना चाहिए।

कार्यक्रम की अघ्य़क्षता कर रहे हिंदी विभाग के अध्यक्ष उाप पुनीत बिसारिया ने कहा कि भगवान राम के विविध गुणों और पहलुओं पर चर्चा के लिए यह संगोष्ठी आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि आगे भी ऐसे अहम कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने विद्यार्थियों से अनुशासन में रहते हुए ज्ञान हासिल कर अपने जीवन कोे निखारने का आहवान किया। उन्होंने गोष्ठी के सफल आयोजन में सहयोग देने वाले विशेषज्ञों, विद्यार्थियों और शि़क्षकों के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

इससे पहले निहाल चंद्र शिवहरे ने राम की विशिष्टताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने मनुष्य की दक्षताओं के आधार पर खुद के सामर्थ्य का प्रमाण पूरे जग को दिया। साकेत सुमन चतुर्वेदी ने कहा कि राम हर संदेह के निवारक हैं। राम भव्य हैं। दिव्य हैं। साथ ही रम्य हैं।

हिंदी विभाग की सहायक आचार्य डा. अचला पाण्डेय ने गोस्वामी तुलसीदास को याद करते हुए उनकी अनुपम कृति श्रीरामचरित मानस की चौपाइयों और दोहों का सुमधुर स्वर में पाठ कर सभी श्रोताओं का मन मोह लिया। 

पूर्व आईएफएस डा. महेंद्र प्रताप ने विद्यार्थियों को राम के जीवन मूल्यों और आदर्शों को आत्मसात करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आज प्रदूषण बहुत बड़ी समस्या बन गई है। यदि सभी लोग पर्यावरण की रक्षा के लिए पौधे रोपें और उनकी ठीक से देखभाल करें तो प्रदूषण की समस्या ने निपटा जा सकता है। उन्होंने मानस के विविध प्रसंगों का उल्लेख कर कहा कि यदि हम अपने पूर्वजों के आदर्शों का अनुसरण करें तो समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

संगोष्ठी में जन संचार एवं पत्रकारिता विभाग के शिक्षक उमेश शुक्ल, रेनू चतुर्वेदी, डा. सीमा श्रीवास्तव, ज्योति वर्मा, बीकेडी के अनिरुद्ध द्विवेदी, डा. गजेंद्र बौद्ध ने भी कबीर के राम, राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त के राम और गोस्वामी तुलसीदास के राम की विविध विशिष्टताओं का उल्लेख विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से किया। समापन सत्र मंे डा. मुन्ना तिवारी, डा. मुहम्मद नईम, डा. अजय कुमार गुप्त, डा. कौशल त्रिपाठी, व्यंग्यकार देवेंद्र भारद्वाज, सौम्या समेत अनेक लोग उपस्थित रहे। गोष्ठी का संचालन बहुत प्रभावी अंदाज में डा. श्रीहरि त्रिपाठी ने किया। गोष्ठी का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। 

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